हिन्दी सहित्य का काल विभाजन व नामकरण विवाद साहित्य के इतिहास का अध्ययन विविध समयों की परिस्थितियों और प्रवृत्तियो के आधार पर किया जाता है इसलिए काल विभाजन की प्रक्रिया द्वारा प्रत्येक काल की सीमा का निर्धारण किया जाता है. विभिन्न युगों में साहित्यिक प्रवृत्तियों की शुरुआत , उनका उतार चढाव उनकी सीमा का निर्धारण करती हैं परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि किसी काल विशेष में जो प्रवृत्तियाँ है , वे एकदम खत्म हो जाती है या उनमे एकदम परिवर्तन आ जाता है. काल विशेष में चलने वाली प्रवृत्तियाँ कमोबेश होती हुयी विलुप्त होने लगती हैं. और अन्य प्रवृत्तियाँ मुख्य रूप धारण करने लगती हैं. हिंदी साहित्य के आरम्भकाल को स्थिर करने की समस्या सदा से रही है. काल-सीमा-निर्धारण के विषय में विद्वानों में पर्याप्त मतभेद है. एक ओर जार्ज ग्रियर्सन , मिश्रबंधु , रामकुमार वर्मा आदि इतिहासकार अपभ्रंश भाषा के उत्तरवर्ती रूप को हिंदी का आदिम रूप मानकर उसकी शुरुआत संवत 700 से मानते है. जार्ज ग्रियर्सन ने हिंदी साहित्य का क्षेत्र भाषा की दृष्टि से निर्धारित किया ज...
हिन्दी भाषा और साहित्य के सबंध में सामान्य तथा प्रतियोगी परिक्षा हेतु जानकारी देने का मुक्त और मुफ्त प्रयास